इस वर्ष 2023 में मलमास अर्थात अधिक मास लग रहा है।
इसे पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है।
यह अधिक मास कब लगेगा तथा कब इसका समापन होगा?
मलमास में क्या कार्य करने चाहिए क्या नहीं करने चाहिए,
इन सभी बातों को हम इसमें जानेगे। इसे पूरा अवश्य देखिएगा,
कहा गया है, संक्रांति रही तो मसूद अर्थात जीस चंद्र मास में संक्रांति ना हो, उसे अधिक मास कहा जाता है।
मलमास दो प्रकार का होता है, अधिक मास और छह मास।
तो यह जो लगने जा रहा है यहाँ अधिक मास है।
आइये सबसे पहले यहाँ जानें कि यह कब से कब तक रहेगा,
उसके बाद इसमें क्या करे क्या ना करे। यह सारी बातें हम जानेंगें
इस वर्ष 2023 में श्रावण के महीने में अधिक मास लग रहा है,
जिससे सामान का महीना पूरे दो महीने रहेगा।
दिनांक 18 जुलाई 2023 दिन मंगलवार को अधिक मास का प्रारंभ होगा तथा 16 अगस्त 2023 दिन बुधवार को इसका समापन होगा।
18 जुलाई से 1 अगस्त तक अधिक श्रावण शुक्ल पक्ष रहेगा तथा 2 अगस्त से 16 अगस्त तक।
अधिक सामान्य कृष्णपक्ष रहेगा।
4 जुलाई 2023 दिन मंगलवार से 17 जुलाई, सोमवार तक शुद्ध श्रावण कृष्ण पक्ष तथा 17 अगस्त 2023 गुरुवार से 31 अगस्त गुरुवार तक शुद्ध श्रावण शुक्ल पक्ष रहेगा।
भगवान श्रीहरि ने स्वयं कहा है संक्रांति जमा से वही मामू दिस वर्तमान चरित आदि देव हम।
पुरुषोत्तम संग कहा अर्थात संक्रांति से रहित माँस में मेरे लिए व्रत करना चाहिए क्योंकि अधिक मास का मैं देवता हूँ और यह महीना पुरुषोत्तम सङक है।
इसलिए यह ध्यान रखना चाहिए कि इस महीने को मलमास ना कहकर अधिक मास ना कहकर पुरुषोत्तम मास कहना संबोधित करना अति उत्तम रहता है।
आइए अब हम यह जानें कि पुरुषोत्तम मास में कौन कौन से कार्य करने चाहिए और कौन कौन से कार्य नहीं करने चाहिए।
कहा गया है आनंद मृत एम नहीं मिति कम का अधिकार।
वो कर्तव्यम नित्य नैमित्तिक, मका वर्जन अर्थात जिसकी कोई गति ना हो, ऐसा नित्य, नैमित्तिक और काम कर्म, अधिक मास और क्षय मास में भी करना चाहिए श गतिक नित्य, नैमित्तिक और काम कर्म नहीं करना चाहिए जैसे संध्या बंधन, अग्निहोत्र आदि।
नित्य कर्म ग्रहण, स्नान आदि नित्य क्रम और करि आदि कर्म जो भूत बाधा हटाने के लिए।
और के हनन के लिए किए जाते हैं, उसे मलमास में भी करना चाहिए।
ज्योतिष्टोम आदि नित्य कर्म और जाति ष्टि आदि नित्य कर्म तथा पुत्रोत्पत्ति के लिए पुत्रकामेष्ठि याद काम कर्म को मलमास के बाद शुद्ध मास में ही करना चाहिए।
पहले से जिसका में व्रत का आरंभ कर चूके हैं उसका अनुष्ठान मलमास में भी निरंतर होता रहेगा।
नवीन कर्म का आरंभ और समाप्ति। मलमास में नहीं करनी चाहिए।
इसी तरह जीस मूर्ति की पूजा ना हो रही हो। उसकी दुबारा प्रतिष्ठा करने में गर्भाधान से लेकर अन्नप्राशन पर्यंत संस्कारों ज्वरादि रोग की शांति अलग भी।
योग में श्राद्ध व्रत आदि और नए मृतिक, प्रायश्चित शाद, उन मास्क आदि साध अमावस्या साध्य भी मलमास में करना चाहिए।
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आइए मलमास में के बारे में विस्तार से जानते हैं।
कहा गया है। उपाकर्म उत्सर्जन में अष्टका श्राद्ध, आनी अधिक एवर जानी चूड़ा, मोहन जी बंद तीर्थ आदि यात्रा वास्तुकर्म, गृहप्रवेश, देवप्रतिष्ठा, कूपाराम, नूतन वस्त्रालंकार, धारणम्, तुला पुरुष आदि महादान।
आनी यज्ञ कर माधवं अपूर्व तीर्थ देव दर्शनम संन्यासः काम में बरसो सर गु राज्याभिषेक को ब्रितानी रमण प्रश्नं
समावर्तन मत क्रांति नामक रमादी, संस्कारा पवित्रारोपण तमनार, पुणे श्रवणा कर्म सर पला दीपक संस्था सैन्य परिवर्तन आता।
मामा से भर जानी अर्थात मलमास में उपक्रम, उत्सर्जन, अष्टका श्राद्ध, गृहप्रवेश, यज्ञोपवीत, विवाह, तीर्थ आदि की यात्रा, मकान बनाना, गृहप्रवेश, किसी देवता की प्रतिष्ठा, कुआं और बगीचे का उत्सर्ग, नए वस्त्र और अलंकार का पहनना।
तुला पुरुष आदि महादान। यज्ञकर्म आधान अपूर्व देवता और अपूर्व तीर्थ का दर्शन। संन्यास।
नाम में ब्रह्मोस, राज्याभिषेक के अंतर हो सकने वाला, अन्नप्राशन, समावर्तन, छूटे हुए नाम, कर्म आदि संस्कार पवित्रारोपण, दमन, आर्पण, श्रवणा कर्म, सर्प बलि आदि पाक संस्थाएँ, सैन्य और परिवर्तन आदि का उत्सव,
शपथ और दिव्य आदि कर्म मलमास मी नहीं करना चाहिए।
आगे बदलते हैं नए मितिका ने रजोदर्शन अशांति
पुनः प्रतिष्ठा दिन इ यदि नियमितता नंतर में विक्रांत ए त दान शादी दो साहब।